पशुपालन पर निर्भर अनेक जनजातियों में देखा गया है कि उनमें दो प्रकार के विशेषज्ञ वर्ग प्रमुख रूप से उभर आते हैं, एक तो पुरोहित वर्ग जो अपनी जनजाति का योगक्षेम आनुष्ठानिक कायोर्ं द्वारा देवताओं को प्रसन्न कर पशुधन की रक्षा और वृद्धि द्वारा सुनिश्चित करने का दावा करता है, दूसरा योद्धा वर्ग जो अपनी जनजाति के जान और माल की रक्षा करता है और अन्य जनजातियों पर हमला कर उनके पशुधन जीत कर अपने कबीले की सम्पन्नता में वृद्धि करता है।